सुना रहा मैं आपको हर काव्य की दास्तान। सुना रहा मैं आपको हर काव्य की दास्तान।
इसके हर शब्द हैं धन मेरा छंदों में नहाता तन मेरा इसके हर शब्द हैं धन मेरा छंदों में नहाता तन मेरा
किचन, हॉल, बेडरूम बाकी सब सामसुम। किचन, हॉल, बेडरूम बाकी सब सामसुम।
जो संतान को उचित-अनुचित के मध्य भेद करना सिखाती है, वो होती है माँ, जो संतान को उचित-अनुचित के मध्य भेद करना सिखाती है, वो होती है माँ,
शब्द को नव अर्थ देने की क्रिया में- पस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ। शब्द को नव अर्थ देने की क्रिया में- पस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ।
निर्विरोध गतिशील है यह प्रचलन सब कहते हैं जिसे कवि सम्मेलन। निर्विरोध गतिशील है यह प्रचलन सब कहते हैं जिसे कवि सम्मेलन।